ब्याज दरों में लगातार 11वीं बार बदलाव नहीं:लोन महंगे नहीं होंगे, EMI भी नहीं बढ़ेगी; RBI ने रेपो रेट 6.5% पर बरकरार रखी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार 11वीं बार ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है। सेंट्रेल बैंक ने ब्याज दरों को 6.5% पर जस का तस रखा है। यानी लोन महंगे नहीं होंगे और आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी। RBI ने आखिरी बार फरवरी 2023 में दरें 0.25% बढ़ाकर 6.5% की थीं। 4 दिसंबर से चल रही मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज, यानी शुक्रवार को दी। ये मीटिंग हर दो महीने में होती है। RBI ने इससे पहले अक्टूबर में हुई बैठक में ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया था। MPC में 6 सदस्य हैं, जिनमें से तीन केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजीव रंजन हैं। सरकार ने 1 अक्टूबर को कमेटी में राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार सहित तीन नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति की है। 2020 से रिजर्व बैंक ने 5 बार में 1.10% ब्याज दरें बढ़ाईं
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कोरोना के दौरान (27 मार्च 2020 से 9 अक्टूबर 2020) दो बार ब्याज दरों में 0.40% की कटौती की। इसके बाद अगली 10 मीटिंग्स में सेंट्रल बैंक ने 5 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, चार बार कोई बदलाव नहीं किया और एक बार अगस्त 2022 में 0.50% की कटौती की। कोविड से पहले 6 फरवरी 2020 को रेपो रेट 5.15% पर था। महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है पॉलिसी रेट
किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। जानिए महंगाई के आंकड़े क्या कहते हैं? 1. सितंबर महीने में रिटेल महंगाई बढ़कर 5.49% पर पहुंच गई थी। अगस्त में ये 3.65% पर थी। यह 9 महीने के उच्चतम स्तर पर है। वहीं, खाद्य महंगाई दर 5.66% से बढ़कर 9.24% हो गई है। शहरी महंगाई भी महीने-दर-महीने आधार पर 3.14% से बढ़कर 5.05% हो गई है। ग्रामीण महंगाई 4.16% से बढ़कर 5.87% पर पहुंच गई है। 2. सितंबर महीने में थोक महंगाई बढ़कर 1.84% पर पहुंच गई थी। इससे पहले अगस्त में थोक महंगाई घटकर 1.31% पर थी। जुलाई में ये 2.04% पर थी। सब्जियों और खाने-पीने के चीजों के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ी है। खाने-पीने की चीजों की महंगाई 3.26% से बढ़कर 9.47% हो गई थी

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