इंडस्ट्रियल ग्रोथ 7 महीने के निचले स्तर पर:फरवरी में IIP 2.9% रही, मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर का खराब परफॉर्मेंस इसका कारण

फरवरी में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 7 महीने के निचले स्तर 2.9% पर पहुंच गई है। पिछले महीने जनवरी में ये 5% पर थी। मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर के खराब परफॉर्मेंस के कारण इंडस्ट्रियल ग्रोथ कम हुई है। मैन्युफैक्चरिंग का IIP में तीन-चौथाई से ज्यादा का योगदान है। जनवरी में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का आउटपुट 2.9% कम हुआ है। ये पिछले महीने में 5.8% था। वहीं माइनिंग सेक्टर के उत्पादन में फरवरी में 2.8% की गिरावट देखी गई, जो 4 महीने के निचले स्तर पर है। ये ग्रोथ जनवरी में 4.4% थी। इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में फरवरी में 3.6% की ग्रोथ हुई। ये पिछले महीने के मुकाबले 1.2% बढ़ी है। जनवरी की तुलना में फरवरी में सेक्टर वाइज इंडस्ट्रियल ग्रोथ: इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) क्या है? जैसा कि नाम से ही जाहिर है, उद्योगों के उत्पादन के आंकड़े को औद्योगिक उत्पादन कहते हैं। इसमें तीन बड़े सेक्टर शामिल किए जाते हैं। पहला है- मैन्युफैक्चरिंग, यानी उद्योगों में जो बनता है, जैसे गाड़ी, कपड़ा, स्टील, सीमेंट जैसी चीजें। दूसरा है- खनन, जिससे मिलता है कोयला और खनिज। तीसरा है- यूटिलिटिज यानी जन सामान्य के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजें। जैसे- सड़कें, बांध और पुल। ये सब मिलकर जितना भी प्रॉडक्शन करते हैं, उसे औद्योगिक उत्पादन कहते हैं। इसे नापा कैसे जाता है? IIP औद्योगिक उत्पादन को नापने की इकाई है- इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन। इसके लिए 2011-12 का आधार वर्ष तय किया गया है। यानी 2011-12 के मुकाबले अभी उद्योगों के उत्पादन में जितनी तेजी या कमी होती है, उसे IIP कहा जाता है। इस पूरे IIP का 77.63% हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से आता है। इसके अलावा बिजली, स्टील, रिफाइनरी, कच्चा तेल, कोयला, सीमेंट, प्राकृतिक गैस और फर्टिलाइजर- इन आठ बड़े उद्योगों के उत्पादन का सीधा असर IIP पर दिखता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *