केंद्र आज जुलाई-सितंबर तिमाही के GDP आंकड़े जारी करेगा। खास तौर पर मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर्स में इंडस्ट्रियल एक्टिविटी की धीमी गति और शहरी क्षेत्रों में धीमी खपत के कारण इस तिमाही में आर्थिक विकास दर धीमी होने की संभावना है। 12 अर्थशास्त्रियों के अनुमानों के मीडियन के अनुसर दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 6.5% पर आ सकती है। एक साल पहले समान तिमाही में यह 8.1% थी। वहीं पिछली तिमाही यानी, अप्रैल-जून में ये 6.7% रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय शाम 4 बजे डेटा रिलीज करेगा। पहली तिमाही में GVA 6.8% थी
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में ग्रॉस वैल्यू एडेड यानी GVA 6.8% था। पिछले साल की समान तिमाही यानी Q1FY24 में यह 8.3% रहा था। वहीं, वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में GVA 6.3% रहा था। वहीं, पूरे साल में GVA 7.2% की दर से बढ़ा था। एक साल पहले यानी FY23 में GVA ग्रोथ 6.7% रही थी। वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापती है GDP
GDP यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट देश में एक अवधि के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को मापती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है। GDP इकोनॉमी की हेल्थ को बताती है। GDP दो तरह की, रियल और नॉमिनल
GDP दो तरह की होती है। रियल GDP में वस्तुओं और सेवाओं की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं, नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है। ग्रॉस वैल्यू एडेड यानी GVA क्या है?
साधारण शब्दों में कहा जाए तो GVA से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल आउटपुट और इनकम का पता चलता है। यह बताता है कि एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ। इससे यह भी पता चलता है कि किस खास क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में कितना उत्पादन हुआ। नेशनल अकाउंटिंग के नजरिए से देखें तो मैक्रो लेवल पर GDP में सब्सिडी और टैक्स निकालने के बाद जो आंकड़ा मिलता है, वह GVA होता है। अगर आप प्रोडक्शन के मोर्चे पर देखेंगे तो इसको नेशनल अकाउंट्स को बैलेंस करने वाला आइटम पाएंगे।